नया सवेरा

नया सवेरा



न जाने क्यों अब उसे देखने का मन करता है।
दूर से ही सही बस आँखे सेकने का मन करता है
ऐसे लगता है कि वो किसी की फोटा कॉपी बन गई
जिससे जिन्दगी मे मिठास हो, वो ऐंसी ही टॉफी बन गइ।


नई सुबह मे भी यादें पुरानी ही होती है।
हँसने की कोशिश करें तो रूला देती हैं।।
बीता हुआ कल कभी-कभी काल बनकर आता है।
सुख चैन तो क्या कभी-कभी वो जान तक ले जाता है। 


मेरे सपनों की कोई भी सीमा नहीं।
दौड़ती है जिन्दगी पर पसीना नहीं।।
दिले दर्द को दूर करे जो ऐसा सपना नहीं आता है
तनहाई को मिटा सके जो ऐसा अपना नहीं आता है


दर्द होता है कहीं पर वो रोता नहीं।
नींद आने पर भी क्यों वो सोता नहीं।।
दर्दे दिल की दवा तो कुछ और ही होती है।
ये दूर नहीं होगा, जब तक ये आँख रोती है।।


पहले अपना बनाया और फिर चेहरा छुपा लिया
फिर पराया बनाया और दिल को दुखा दिया
किस्मत की मार के आगे कोई कुछ कर भी नहीं सकता
जब तक जिन्दगी बची है कोई मर भी नहीं सकता

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