काश कि

काश कि



काश कि कोई दिल की धड़कनें सुन सके।
अपने-पराये मे फर्क पहचान सके।।
हम तो उनके दिल मे धड़कन बनकर रहते हैं।
काश कि कोई इतनी सी बात जान सके।।

तुम्हे देखे मानो एक जमाना हो गया।
तुम्हे देखना जैसे जीने का एक बहाना हो गया।।
अब जीने के लिए हमे कुछ तो करना पड़ेगा।
तुम्हे देखने के लिए थोड़ा दर्द तो सहना पड़ेगा।।

दूरी होकर भी ये दूरी नही लगती।
पास आना भी कोई मजबूरी नहीं लगती।।
फिर कैसा खालीपन सा है इस दिल मे।
ये दुनिया अब मुझे अपनी क्यों नहीं लगती।। 
घुटन भरे माहौल मे अब जिया नही जाता।
उनके बगैर अब कुछ भी किया नहीं जाता।।
एक दिन इस जमाने को हम यहीं छोड़ जायेंगे।
जो सताते हैं हमे वो हाथ मलते रह जायेंगे।।

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